शर्म से झुका संतो का सर आज ,
इस बापू ने लुटी एक अबला की लाज ,
थु थु कर रहा उसपर सारा समाज ,
पर वो है की बेशर्मी से नहीं आता बाज |
सोच कर भी सिहर जाता है मन ,
ऐसे मुखोटा लगाकर कैसे करता वो सत्संग ,
विडम्बना देखो भारत देश के संग ,
ऐसे पाखंडी के मुख से लोग सुनरहे भजन |
इस उम्र में ऐसा निघ्रुण काम किया ,
कम उम्र में , कौन जाने क्या क्या रास किया ?
साधना का नहीं इसने वासना का पाठ किया ,
न जाने अबतक इसने कितनो को डस लिया |
ऐसे दुराचारी को फासी पर टांग देंगे ,
इस कुकर्मी को बापू का नाम न देंगे ,
आज शर्म से अपने बापू पानी पानी होगे ,
बोल रहे है उतार फेको , इन पाखंडी के चोंगे |
अब भी वक़्त है लोगो सुधर जाओ ,
ऐसे बाबाओ के षड़यंत्र में न आओ ,
ये कैसे किसीका भला कर सकते है बताओ ,
इनके तो "मुह में राम बगल में छुरी" है समझ जाओ |
डॉक्टर सुनील अग्रवाल
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