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Tuesday, 27 August 2013

डॉक्टर - दॊस्त या दुश्मन

डॉक्टर - दॊस्त या दुश्मन

माँ के हाथो के पहले जिसने हमें छुआ ,
पीठ थपथपाकर दी ज़िदगी की दुवा,
आज उन्ही हाथो को लोगो ने बदनाम किया ,
तब मेरी अंतरात्मा ने रोकर मुझसे कहा -
जिसे दिया था तुने भगवान का दर्जा,
कहा था कभी उतार पाएगा ना कर्जा ,
आज उसी को तू कोर्ट में खड़ा कर रहा,
उसी के सिर तू कसाई होने का इल्जाम मड रहा ,
ऐसे में तो भगवान भी तुझ से डर जायेगा ,
फिर अड़चन में तेरी मदत करने कौन आयेगा ?
इतना एहसान फरामोस ना बन इसान ,
दोस्त और दुश्मन की तू रख पहचान ,
इस तरह पवित्र पेशे का ना कर अपमान ,
नहीं तो इंसान जानवर कहलायेगा ,
रिश्ते नाते सब भूल जायेगा ,
कलियुग की जगह भ्रमयुग आयेगा ,
वहा एक इंसान दुसरे को मार गिराएगा ,
अपने कौम को बचाने अब तू जाग जा ,
और शेखचिल्ली बनकर अपनाही पैर ना कटा |

                                              डॉक्टर सुनील अग्रवाल




2 comments:

Unknown said...

BATTERY WALA KE BHI YEHI HAAL HAI

Anonymous said...

wow nicely written