indiblogger member

Wednesday, 28 August 2013

रूपया और डॉलर


रूपया और डॉलर की हो गयी लड़ाई,
डॉलर ने गुस्से में अपनी कीमत बड़ाई,
इस वजह से भारत की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाई,
ये सब देखकर रुपये की आख भर आई ,
वो निकल पड़ा डॉलर को मनाने,
भारत से अमेरिका जाने |

रास्ते में उसके संसद भवन आया,
वहा उसने काफी शोरगुल पाया,
वो वहा दो घडी ठहर गया ,
अन्दर  की बहस सुनकर वो सिहर गया |

एक बोला -
सरकार की नीतिया पूरी खोखली है,
विदेशी कंपनी भारत लुटने अब मोकली है,
इसी के लिए रूपया गिर रहा है,
और आर्थिक बोझ के निचे गरीब मर रहा है |

दूसरा बोला -
शेयर बाज़ार अब मुह की खा रहा है,
विदेशी निवेशक घबरा रहा है,
उसे सरकार की काबिलियत पर भरोसा नहीं है,
इसलिए अपने डॉलर के साथ वापस जा रहा है |

तीसरा बोला -
खाद्य सुरक्षा बिल का है कमाल,
वोट बटोरने, द्रॊपति सा किया देश का हाल,
इस बिल से लोगो को निठल्ला बनाने की है चाल,
देश का उत्पादन बंद करनेका बूना है जाल |
बाद में ये विदेशी आयत में कमीशन खायेगी,
आर्थिक स्थिती सुधारने नए टैक्स लगाएगी ,
भारत के लोगो को खून के आसु रुलाएगी ,
अपनी तिजोरी भरके मैडम विदेश चली जायेगी |

ये सब सुनकर रूपया भोचक्का रह गया ,
डॉलर को मनाने का मंसूबा ढेर हो गया ,
अब उसे अपनी स्थिति खुद सुधारना  था ,
'सरकार' रूपी दीमक से भी तो निजाद पाना था |

                               डॉक्टर सुनील अग्रवाल