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Thursday, 5 September 2013

दहेज


आज दहेज ही वरपक्ष की आस है ,
लेकिन वे जानते नहीं ,
वो गरीब वधु का जीतेजी ,
तोडा हुआ मास है |

वधु को जिन्दा जलाने का ,
आज सास में साहस है ,
पर किसीको उस कोमल ह्रदय से ,
निकलती अश्रुधार का एहसास है ?

आज दुनिया में वधुए ,
लक्ष्मिबल पर बट रही ,
और इस दहेज़ के लिए,
गरीब बहु कट रही |

डॉक्टर सुनील अग्रवाल 

1 comment:

Paresh Kale said...

Superb thats all I can say !