आज दहेज ही वरपक्ष की आस है ,
लेकिन वे जानते नहीं ,
वो गरीब वधु का जीतेजी ,
तोडा हुआ मास है |
वधु को जिन्दा जलाने का ,
आज सास में साहस है ,
पर किसीको उस कोमल ह्रदय से ,
निकलती अश्रुधार का एहसास है ?
आज दुनिया में वधुए ,
लक्ष्मिबल पर बट रही ,
और इस दहेज़ के लिए,
गरीब बहु कट रही |
डॉक्टर सुनील अग्रवाल
1 comment:
Superb thats all I can say !
Post a Comment