बड़ा मुश्किल है इसे सम्भालना ,
इससे भी कठिन है इसपे काबू पाना ,
सरकार भी भरने वाली है अब हर्जाना ,
इसे रोक नहीं तो मुह की खानी पड़ेगी समझ जाना |
आत्महत्या का कारण है ये ,
भुकमरी का कारण है ये ,
कर्जा बढाती है ये ,
सबको रुलाती है ये |
बड़ा मुश्किल है इसके साथ निभाना ,
और भी कठिन है इसका कारण समझ पाना ,
दुर्भर हो गया है अबतो घर चलाना ,
बच्चे बिलबिलाते है , कहा से अन्न लाना ?
ये अमीर और गरीब में फर्क नहीं करती ,
ये किसी की लाचारी की फ़िक्र नहीं करती ,
जहा पर भी जाती है सारी पब्लिक इससे है डरती ,
भैया ! ये 'महगाई' है ये सब का सुख चैन हरती |
डॉ सुनील अग्रवाल
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