indiblogger member

Friday, 30 August 2013

न आस न राम सिर्फ कोहराम


शर्म से झुका संतो का सर आज ,
इस बापू ने लुटी एक अबला की लाज ,
थु थु कर रहा उसपर सारा समाज ,
पर वो है की बेशर्मी से नहीं आता बाज |

सोच कर भी सिहर जाता है मन ,
ऐसे मुखोटा लगाकर कैसे करता वो सत्संग ,
विडम्बना देखो भारत देश के संग ,
ऐसे पाखंडी के मुख से लोग सुनरहे भजन |

इस उम्र में ऐसा निघ्रुण काम किया ,
कम उम्र में , कौन जाने क्या क्या रास किया ?
साधना का नहीं इसने वासना का पाठ किया ,
न जाने अबतक इसने कितनो को डस लिया |

ऐसे दुराचारी को फासी पर टांग देंगे ,
इस कुकर्मी को बापू का नाम न देंगे ,
आज शर्म से अपने बापू पानी पानी होगे ,
बोल रहे है उतार फेको , इन पाखंडी के चोंगे |

अब भी वक़्त है लोगो सुधर जाओ ,
ऐसे बाबाओ के षड़यंत्र में न आओ ,
ये कैसे किसीका भला कर सकते है बताओ ,
इनके तो "मुह में राम बगल में छुरी" है समझ जाओ |


डॉक्टर सुनील अग्रवाल 

Wednesday, 28 August 2013

जिंदा लाश


उठ के देखा सुबह तो ,
    खिली एक कलि थी ,
भवरे कुछ गुनगुनाते ,
    पर गुमसुम बावली थी ,
बनके भवरा मै एक ,
    चल पड़ा उसके पास ,
लगा पूछने उससे ,
    उसकी बेहालगी क्यों ?

फफकर वो रोई ,
    नयना आसु पिरोई ,
कहने लगी बोल ऐसे ,
    वो कुछ अनमनी सी ,
हुआ थक्क सुनकर ,
    मै खुद सिसकाया ,
फिर देखा गगन को ,
    कहा इसे क्यों बनाया ,
न देखा है यॊवन ,
    अभी यह अधूरी ,
पर फिर भी मधु इसकी ,
    भवरे ने चुराई ,
शर्म के वजह से ,
    यह मुह ना दिखाई ,
भोर हो चली ,
    फिर भी यह रही कुमलाई |

और देखा बेबस इसे ,
    तो भवरे आए अनेक ,
कुछ एक ने छेड़ा ,
    किसी ने ताने दिए फेक ,
दुर्गो में नीर ,
    उर में रोती हुई पीर ,
फिर भी चुप थी ,
    वो अपनी लाचारगी पर |

मैंने सोचा बहोत ,
    पर समझ कुछ न आया ,
जिसे कुछ ने उत्ताडा ,
    उसके कपड़ो को फाड़ा ,
उसे ही समाज ने ,
    लज्जा से गाडा ,
उसे ही सताया ,
    उसे गुंगा बनाया ,
और किस बेदर्दी से ,
    उसे जिन्दा लाश में सजाया |

डॉक्टर सुनील अग्रवाल

रूपया और डॉलर


रूपया और डॉलर की हो गयी लड़ाई,
डॉलर ने गुस्से में अपनी कीमत बड़ाई,
इस वजह से भारत की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाई,
ये सब देखकर रुपये की आख भर आई ,
वो निकल पड़ा डॉलर को मनाने,
भारत से अमेरिका जाने |

रास्ते में उसके संसद भवन आया,
वहा उसने काफी शोरगुल पाया,
वो वहा दो घडी ठहर गया ,
अन्दर  की बहस सुनकर वो सिहर गया |

एक बोला -
सरकार की नीतिया पूरी खोखली है,
विदेशी कंपनी भारत लुटने अब मोकली है,
इसी के लिए रूपया गिर रहा है,
और आर्थिक बोझ के निचे गरीब मर रहा है |

दूसरा बोला -
शेयर बाज़ार अब मुह की खा रहा है,
विदेशी निवेशक घबरा रहा है,
उसे सरकार की काबिलियत पर भरोसा नहीं है,
इसलिए अपने डॉलर के साथ वापस जा रहा है |

तीसरा बोला -
खाद्य सुरक्षा बिल का है कमाल,
वोट बटोरने, द्रॊपति सा किया देश का हाल,
इस बिल से लोगो को निठल्ला बनाने की है चाल,
देश का उत्पादन बंद करनेका बूना है जाल |
बाद में ये विदेशी आयत में कमीशन खायेगी,
आर्थिक स्थिती सुधारने नए टैक्स लगाएगी ,
भारत के लोगो को खून के आसु रुलाएगी ,
अपनी तिजोरी भरके मैडम विदेश चली जायेगी |

ये सब सुनकर रूपया भोचक्का रह गया ,
डॉलर को मनाने का मंसूबा ढेर हो गया ,
अब उसे अपनी स्थिति खुद सुधारना  था ,
'सरकार' रूपी दीमक से भी तो निजाद पाना था |

                               डॉक्टर सुनील अग्रवाल 



Tuesday, 27 August 2013

डॉक्टर - दॊस्त या दुश्मन

डॉक्टर - दॊस्त या दुश्मन

माँ के हाथो के पहले जिसने हमें छुआ ,
पीठ थपथपाकर दी ज़िदगी की दुवा,
आज उन्ही हाथो को लोगो ने बदनाम किया ,
तब मेरी अंतरात्मा ने रोकर मुझसे कहा -
जिसे दिया था तुने भगवान का दर्जा,
कहा था कभी उतार पाएगा ना कर्जा ,
आज उसी को तू कोर्ट में खड़ा कर रहा,
उसी के सिर तू कसाई होने का इल्जाम मड रहा ,
ऐसे में तो भगवान भी तुझ से डर जायेगा ,
फिर अड़चन में तेरी मदत करने कौन आयेगा ?
इतना एहसान फरामोस ना बन इसान ,
दोस्त और दुश्मन की तू रख पहचान ,
इस तरह पवित्र पेशे का ना कर अपमान ,
नहीं तो इंसान जानवर कहलायेगा ,
रिश्ते नाते सब भूल जायेगा ,
कलियुग की जगह भ्रमयुग आयेगा ,
वहा एक इंसान दुसरे को मार गिराएगा ,
अपने कौम को बचाने अब तू जाग जा ,
और शेखचिल्ली बनकर अपनाही पैर ना कटा |

                                              डॉक्टर सुनील अग्रवाल




Saturday, 24 August 2013

यात्रा यानि मस्ती टाइम

 
   

       यात्रा एक सुखद अनुभव है | ये हम पर निर्भर करता है की यात्रा के दौरान हम आपनी खुशिया कैसे बटोरे |  हर जगह अपने आप में मनमोहक होती है और खासकर  छुटटीया बिताने के लिए तो सभी अपने आप में खुबसूरत और लुभावनी होती है ,  पर फिर भी सभी के दिल को ख़ुशी से सरोबोर करना चाहते हो तो कुछ बातो का ध्यान रखना  जरुरी होता है |
       छुटटीया आप किसके साथ बिता रहे हो ये बात आपका गनतव्य निर्धारित करने के लिए जरुरी होता है , जैसे की अगर आप के साथ बच्चे या बुजुर्ग है तो इस बात का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है की छोटे बोर ना हो और उम्रदराज व्यक्तियों को सेहत या घुमने फिरने में दिक्कत ना हो | 
      इसके बाद जो भी घुमने जा रहे है उन सभी का आपस में बराबर का तालमेल हो, पसंद मिलतीजुलती हो ताकि समन्वय बनाये रकने में आसानी होगी अगर सान्शिपत में कहु तो ' Birds of same feather flock together'.  सबकी आर्थिक परिस्थिति का भी उचित ध्यान  रखा जाए तो यात्रा का मजा दुगना हो जायेगा, हा इसके लिए सभी को थोडा थोडा एडजस्ट करना पड़ता है |
      एक बार जगह और हमसफ़र हमने तय कर लिए तो बस अब तयारिया शुरू कर देनी चाहिये जैसे की दवाइया, थोडा बहोत खानेपीने का सामान, यात्रा की टिकेट, आइडेंटिटी कार्ड , रोजमर्जा की चीजे, इत्त्यादी | सबसे जयादा जरुरी बात है हम अपने कारोबार के टेंशन को साथ न ले जाये अगर ऐसा नहीं किया तो आप तो परेशान रहगे ही पर सहचारी भी खीज जायगे |
      प्रकृति किसे अच्छी नहीं लगती अगर मुझे अपने परिजनों एवं मित्रो के साथ जाने को कहा जाये तो में भारत  का जन्नत यानि की कश्मीर भ्रमण करना चाहुगा | वहा सुन्दरता हर वक़्त अपने चरम सीमा पर होती है, बर्फ से लदे पर्वत, नदियों में बहता शुभ्र जल, हरयाली से आच्छादित कोसो फैले मैदान, लुभावना मौसम ऐसा लगता है जैसे किसी स्वर्गलोक में हम विचरण कर रहे हो | यहाँ पर सभी उम्र के व्यक्ति आनंद उठा सकते है | यहाँ की गंडोला सहर अपने आप में एक अलग अनुभूति है, दुनिया का सबसे उचे गंडोला में बैठकर आसमान छुने का एहसास होता है | अंत में मै इतना ही कहना चाहुगा -  http://www.yatra.com/ 

 मस्ती के वो दिन थे,
             मॊज भरी वो राते,
    सफ़र की शुरुआत थी,
                        अब होगी नयी मुलाकाते |
                भुला चूका था रॊज का दुखड़ा,
                       दिनचर्या का रोता मुखड़ा,
                  अब नहीं था मुझको कोई टेंशन,
                     चार दिन का था ये पेंशन,
         हँसी खुशी से इसे बिताये,
                       आओ हम सब मजे उडाए | 


Friday, 23 August 2013

Modern Healthcare is add on to your skill

I am from a very small place called Yavatmal, even though it is district place but it is known for the maximum number of farmer suicide. Most of the Population is Adivasi , and we were lacking in the proper medical care. The life was worse on the holidays and festivals when any medical emergency would succumb due to lack of availability of doctor. There was not a single hospital which used to cater services after 9.00pm in night. At that time I was also a practicing surgeon in Yavatmal. I was running a 20 bedded nursing home. Everytime I was haunted by the thought of not giving timely help to needy patients who used to knock my door in the odd hours and this used to bother me a lot , but there was always a limitation of individual doctor providing services and to overcome this issue I had to think differently. So I decided to go ahead  first by agglomerating all services under one roof with help of my other professional colleague and a step towards modernization of Healthcare services.
Modernization doesn't only mean addition of new gadgets but it means proper care timely imparted to patient  which will be helpful to save his life. To stick on to the first two principle of modernization i.e proper care in proper time it was necessary that round the clock some specialist in his own field be available with all basic diagnostic facility and life saving gadgets. So we started our venture Sanjeevan Multispeciality Hospital & Research Institute with mission " Save life with Love and Care".
After the start of this new hospital I have closely seen how the modernization in healthcare helps to save precious human life which can never be regained once that golden moment is lost. Many people has misconception that in such hospital unnecessary investigations are done to retrieve money from the patient, but here I thank the availability of modern gadgets which help in timely diagnosis and thus save a life. I would like to site an example previously if any patient of heart attack  used to come we used to diagnose clinically and on basis of ECG which can be negative ( no changes of heart attack) in initial hours with advent of new technology enzymes such as troponin I can be useful which is positive even when the other parameter are normal thus can be helpful in saving human life with proper intervention.
It is quite true that due to modernization the extra cost is to be incurred by the patients but again I would say that 'life is valuable and money is only worth till you are alive'.
Availability of modern techniques has definitely changed the whole scenario, life expectancy which was 40 - 45 years initially has gone up to 65-70 yrs. In my view modernization in healthcare has got both its advantage and disadvantages, let us enumerate few disadvantages- cost of healthcare has gone up, doctors lack touch of humanity due to basic cost involved, CPA has abruptly broken the doctors patient relationship, Hospital are turning into industry with more competitive attitude, more and more facilities are coming up in metro cities rather in other words rural areas are neglected due lack of paying capacity and difficulty in viability of Healthcare Project.
Here I would like to say modern healthcare facility will definitely touch lives if we try to keep low cost of treatment , reach to rural area ( as life is precious whether poor or rich) , first establish basic healthcare infrastructure rather then going in for more advanced version of machinery, get low cost safe transportation facility, etc.
To conclude I would like to say
Your will and your skill are indispensable and modernization is just a add on jewel , let it be useful to increase the beauty but without breaking the bonds of humanity             

Wednesday, 21 August 2013

ग़रीबी





मै एक ऐसी कहानी हू,

जो सबकी जानी पहचानी हू,

झुल्फ मेरी उम्मिदो की बनी है,

जो हर हवा के झोके से बिखर जाती है,

बिन्दिया के नाम पर रोज,

लहू के छीटे माथे पर उड़ जाते है,

होटो की लाली की जगह,

भूख की ताज़गी हर समय नज़र आती है,

आखो के झरोको मे,

भय और आतंक का तांडव दिखाई देता है,

खिलखिलाकर आती हसी की बजाए,

मौन खड़े सन्नाटे की अहाट आती है,

ओडनी के चंद धागो को छोड़कर,

बची हुई लाज गिधो के पंजो मे नज़र आती है,

पक्समो पर बसी हुई झुरिया ही,

मेरी जवानी की बची हुई अमानत है,

सर पर सफेद होते बाल ही,

मेरे बडनेकी निशानी है,

अगर अब भी समझ पाए तो,

कुछ आसू बहा देना,

और इस अभागन को,

ग़रीबी कहकर गले लगा लेनाII I



By-

Dr Sunil Agrawal






Tuesday, 20 August 2013

बचपन



जब भी याद आते हो,
   बहूत रुलाते हो तुम,
दूर जाते देखकर भी,
   ना बुलाते हो तुम I
याद नही कितने अज़ीज थे
   हम कभी एक दूसरे के,
अब तो सामने खड़े होकर भी
   भुलाते हो मुझेI
आज भी तुम मुझे-
   कभी खिलोने से दीखाई देते हो,
   कभी मा के दुलार से प्रतीत होते हो,
   कभी आसू की तरह झर जाते हो,
   कभी ज़िद की तरह अड़ जाते हो,
कभी अमराई के झूलो पर झूलते देखा था तुम्हे,
कभी अनभीग्येता और भोलेपन सा निहारा था तुम्हे,
कभी बंदर की सी मस्ती मे पाया था तुम्हे,
कभी हिरनी की सपूर्ती मे जाना था तुम्हे I
पर अब तो सुनहरे सपने की बिखरी हुई शेष
                    किरण हो तुम,
पर जब भी याद आते हो बहूत रुलाते हो तुम,
हाय ! मेरे बचपन के दिन क्यो मुझे भुलाते हो तुम I

By-
Dr Sunil Agrawal


Saturday, 17 August 2013

The Recovered Treasure

It was a wonderful morning ,  golden rays of the sun was covering the stretched fields , soothing breeze was refreshing the moods of the farmer and fields were full of green harvest. The atmosphere everywhere was joyous and electrifying but Tina , the poor girl was sitting beside the window in her room & sobbing. It was a big day for her , as today was her 16th birthday. Her friend Mansi entered the room and wished her “ Happy Birthday To You Tina ” but to her surprise the birthday girl wiped her eyes and replied in very low mood ‘ Thank You Mansi ’ . She  immediately understood that something was wrong with her so she sat beside the Tina patted her back and asked “ What’s wrong with you Tina? ” .
Tears started pouring down from Tina’s eyes she was unable to speak as she cried more loudly but Mansi managed to clam her down after a while. Now both of them sat beside the window and Tina narrated her the reason for being upset on such a marvelous day.
Tina told her that it was 24th June 2004 I was playing in the garden, it was drizzling but we never bothered , even though my mother was asking us to come inside and play , as she was afraid that we may catch cold. Suddenly I heard shrilling scream  from inside the house , it was of my mother , all of us rushed inside , my mother was lying on the kitchen floor and she was looking pale, anyhow my father managed a ambulance immediately and she was taken to the hospital but our efforts went in vain as she had severe heart attack and could not survive. That day  I cried a lot, my father was in great shock but looking at me & my elder brother he never expressed his feelings. I still remember  that my father helped both of us to sustain and come out of that miserable event. Once again the life was routine but the calamity struck us once again. This time it was with my father,  just after 6 months of  the sad demise of my mother my father was detected of having the brain tumor which was in it’s last stage, once again the doctors were helpless and my father left us alone after just 8 months. That day I felt that this is the end of my life too but my elder brother Suraj who was 17 years by then , stood beside me and encouraged me that “ even though it is tough time for us but the sweet memories of our parents and treasure of their teaching & blessings is still with us and if we follow it then only we will be paying true homage to our parents  “.  His words acted like ray of hope in those dark moment.
Thereafter my elder brother acted like my parent  for me, he took me to eat ice-cream, started getting me new dresses, spend more & more time with me helping  in my studies, even though he had kept no stone unturned about my care from his side but I still miss my parent  a lot. I know for every child their parent are  like angel but for me my parent  were my friends , my idol , my angel & my god. They used to fulfill my all needs like my education , new dresses , ice-cream , chocolate etc , but apart from needs they have taught me many things in my life to which I was very casual but that is my real treasure which I could understand after I lost them.
They used to teach me that we should never lie to other & we should be truthful to ourselves because the biggest crime is to deceive our own soul. They used to teach me moral by way of story every night  while I went to sleep in which I learnt that it is not important to come first in the class or competition but its more important to participate. At that time they also taught me that even if you lose the competition it is not  end but it is lesson that we should work hard to succeed next time. They used to teach me that to look beautiful and good is important but more essential is to be good by heart & manners because even though if you are most beautiful girl in the world but you are arrogant & ill mannered then people won’t let you come near nor they will appreciate your beauty.
Today if my parent would had been alive I would have called you all for party. I missed them today morning a lot as they were the 1st one to wish me my birthday and give me hug & gift. Every vacation we used to go  to different places were we used to enjoy but at the same time I was afraid of new places so my father used to hold my hand so that I felt secured. I still remember those dark rainy night when the lighting sound frightened me and then I used to hold my mother whole night and not let her sleep but she never scolded nor complaint regarding it.
Now when my parent are no more with me sometime I feel left alone in this world. I always think that how foolish I was when I thought the things they told me was rubbish, but that was the most valuable treasure I am having. Our parent are the only one who love us more than their lives & each word taught to us by them is the sole truth and a jewel whose worth increases as the days pass.
Mansi, I feel sorry for those children who don’t have parent but feel more sorry for those who don’t care for them. When their parent grow old most of the children drive them out their home or send them to old people home so that they can enjoy the life in their own will, they wont have to spend on their parents but they forget that their children will behave in similar fashion with them,  they forget that their parent who starved themselves so that you can have food properly, they forget the teaching & support their parents had given them when they were kids and helpless.
Here I would like to tell you & whole world that if you have parent then respect them, love them, care for them & trust them as they are mines of precious jewels which will decorate your life & make more beautiful as the time passes.
I would express my feelings towards my parent by the way of this poem-
                                If you have parent,
                                Treat them with love & care,
                                For you will never know their importance,
                                Until you see their empty chair.

From that day onwards I started  to follow everything my parent taught me and thus I recovered  the lost treasure.