हर बार एक नयी तस्वीर उभर आती है ,
क्या पता वो मुझसे क्या कहना चाहती है ,
आखो में प्यार और ममता नजर आती है ,
होटों से अपनापन झलकाती है ,
कभी रूठती है कभी मनाती है ,
निशब्द होकर भी वो मुझे समझाती है ,
महबूबा बनकर कभी करीब आती है ,
और न जाने कब मेरे आगोश में समां जाती है ,
जब देखो तब वो मुझ पर हक़ जताती है ,
छोटी छोटी बातो में मेरा मजाक बनाती है ,
उसकी हर आहट से मेरी जिंदगी मुस्कुराती है ,
उससे बिछड़ने के ख्याल से ही आख भर आती है ,
बचपन से बुढ़ापे तक यही साथ निभाती है ,
हर गुजरे हुए पल की ये मीठी याद दिलाती है ,
ये मस्ती और नोकझोक दोनों की सेज सजाती है ,
दुःख दर्द में ये मुझे जीने की राह बताती है ,
ये दबे पैरो से सबके जीवन में आती है ,
इन्द्रधनुष के रंग सजीले जीवन में बिखराती है ,
ये आप सब की ' दोस्ती ' है ,
जो मुझको बहोत लुभाती है |
डॉ सुनील अग्रवाल
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